Trikal-sandhya-gifted-by-pandurang-Shastri Athavle
Morning Time
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमूले सरस्वती।
करमध्ये तु गोविन्द: प्रभाते कर दर्शनम॥
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे॥
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमद्रनम्।
देवकीपरमानन्दम कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥
Morning Time
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमूले सरस्वती।
करमध्ये तु गोविन्द: प्रभाते कर दर्शनम॥
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे॥
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमद्रनम्।
देवकीपरमानन्दम कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥
Karagre vasate Lakshmeehi Karamoole Sarasvatee |
Kara-madhye tu Govindah Prabhaate kara-darshanam ||
Vasudeva-sutan Devam Kansa-Chaanura-mardanam |
Devaki-paramaa nandam Krushnam vande jagad-gurum ||
Meal Time
यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्विषैः।
भुञ्जते ते त्वघं पापा ये पचम्त्यात्मकारणात्॥
यत्करोषि यदश्नासि यज्जहोषि ददासि यत्।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम्॥
अहं वैश्र्वानरो भूत्वा ग्राणिनां देहमाश्रितः।
प्राणापानसमायुक्तः पचाम्यन्नं चतुर्विधम्।।
ॐ सह नाववतु सह नौ भनक्तु सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्वि नावघीतमस्तु मा विहिषावहै।।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।
भुञ्जते ते त्वघं पापा ये पचम्त्यात्मकारणात्॥
यत्करोषि यदश्नासि यज्जहोषि ददासि यत्।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम्॥
अहं वैश्र्वानरो भूत्वा ग्राणिनां देहमाश्रितः।
प्राणापानसमायुक्तः पचाम्यन्नं चतुर्विधम्।।
ॐ सह नाववतु सह नौ भनक्तु सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्वि नावघीतमस्तु मा विहिषावहै।।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।
Yagna-shishtaa-shinah santo muchyante sarva-kilbishaih |
Bhunjate te tvagham paapaa ye pachantyaatma-kaaranaat ||
Yat-karoshi yadashnaasi yaj yaj-juhoshi dadaasi yat |
Yat-tapasyasi Kaunteya tat-kurushva madarpanam ||
Aham vaishvanaro bhootvaa praaninaan deha-maashritah |
Praanaa-paana samaayuktah pachaamyannam chaturvidham ||
Om saha naa-vavatu saha nau bhunaktu saha viryam karavaa-vahai |
tejasvi naa-vadhi-tamastu maa vidvishaa-vahai ||
Om shaantih shaantih shaantihi
Sleep Time
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वाअपराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शंभो॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देवदेव॥
प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वाअपराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शंभो॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देवदेव॥
Krushnaaya Vaasudevaaya haraye Parmaatmane |
Pranata-klesha-naashaaya Govindaaya namo namah ||
Kara-charan-krutam vaak-kaaya-jam karmajam vaa
shravana-nayanajam vaa manasam va-aparadham |
Vihitam-avihitam va sarva-me-tat kshamasva jaya jaya karunaabdhe
Shree Mahaadeva Shambho ||
Tvameva maataa cha pitaa tvameva tvameva bandhush-cha sakhaa tvameva |
Tvameva vidyaa dravinam tvameva tvameva sarvam mama deva-deva ||
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